अंदाज
अंदाज
जिंदगी जीने का कुछ ऐसा अंदाज रखो,
जो तुम्हें ना समझे उसे नजरअंदाज रखो।
तेरे जाने के बाद भी जिन्दा रखे जो तुझको,
ख़त्म ना हो सके कोई जमाने में ख्वाब रखो।
ढूँढते हैं तुझमें लोग आदतें कुछ अपनी,
सीने में कुछ तो छुपा के अपने राज रखो।
कहता नहीं ऐसा तुम करो वक्त से बगावत,
पर जिन्दा हो वाइज तुम कुछ तो आवाज रखो।
प्रेम अहिंसा की बातें, सच्चाई का दामन,
कहते हो जो भी तुम कुछ तो अपनी लाज रखो।
बिक जाएगा सब कुछ नफरतों के बाज़ार में,
अपने लिए खुद की, कुछ तो जज्बात रखो।