अभि भी वक्त हैं ,मौका भी शायद
अभि भी वक्त हैं ,मौका भी शायद
भूखे को रोटी, पहनने को कपडा
रहने को मकान, अच्छी शिक्षा
बस और क्या चाहिये जीने को
लेकिन यह सब मिलेगा कब भाई ?
सबको न्याय, नौकरियां, रोजगार
सबका साथ, सबका विकास, विश्वास
कब होगी पूरी बड़ी-बड़ी बाते ढेर सारी
और जो दिखाये थे आपने वह सारे सपने ?
माना कि तेरे पीछे सब दिवाने
उनके भी हैं कुछ अरमान प्यारे
हर बार मत छेड़ो नये नये जुमले
मत बनाओ उल्लू हम सबको, हुक्मरानो
बात पते कि बोले मदारी
खेल, तमाशा दुनिया सारी
हर बार नही चलेगी चालाकी तुम्हारी
अभी भी वक्त हैं, मौका भी शायद आखिरी बारी