STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Others

3  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Others

अब

अब

1 min
219

तन्हा अब जीने लगा हूं

आंसू अब पीने लगा हूं,

ना डरता हूं किसी से

अंधेरे में सोने लगा हूं,

दर्द को अब भूल गया हूं

बेदर्द अब रहने लगा हूं,

ना मंज़िल है,ना रास्ता है

अब बेपरवाह चलने लगा हूं,

तन्हा अब जीने लगा हूं।


अब मैं बोलता कम ही हूं यारों

आवाज सीने में दबाने लगा हूं,

खूब खेल,खेल लिए है

अब खुद जमूरा बनने लगा हूं,

ख़ुदा को मदारी बनाकर,

अब मस्त नाचने लगा हूं।



Rate this content
Log in