आनंद से जियो !
आनंद से जियो !
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आनंद से जियो,
और जीवन के समस्त रंगों को जियो।
सारे स्वरों को जियो
कुछ भी निषेध नहीं करना है.
जो भी परमात्मा का है, शुभ है
जो भी उसने दिया है, अर्थपूर्ण है !
उसमे से किसी भी चीज़ का इनकार करना,
परमात्मा का ही इनकार है, नास्तिकता है !
जब तुम सबको स्वीकार कर लेते हो
और आनंद से जीने लगते हो तो
तुम्हारे अंदर रूपांतरण की प्रक्रिया शुरू होती है।
तुम्हारे भीतर की रसायन बदलती है
क्रोध करुणा बन जाता है,
काम राम बन जाता है !
तुम्हारे भीतर कांटे फूलों की तरह खिलने लगते हैं !
