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Krishna Khatri

Others

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Krishna Khatri

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आंखें चार करो !

आंखें चार करो !

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गर हो तन्हा

तो अपनी ,,,,,

तन्हाई से बात करो 

उसे प्यार से सहलाओ 

हल्का सा गुदगुदाओ,

संग उसके खिलखिलाओ,

बाहों में भर लो उसको।


गर दूर रहे उससे 

खुद से भी हो जाओगे दूर

इसलिए,

नज़रें न चुराओ तन्हाई से

उससे आंखें चार करो, 

बिना वजह रोना क्यों

जो छूट गया ,सो छूट गया 

वो तो कभी न था तेरा

फिर उसके,

खो जाने का डर क्यों ?

बस ,,,तन्हा हो,

तन्हाई से बात करो !

       



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