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Ruchika Rai

Others

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Ruchika Rai

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आखिर मैं कौन

आखिर मैं कौन

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उषा की लालिमा सी उज्ज्वल

या गोधूलि बेला सी थकी मांदी,

जाड़े की धूप से हूँ नरम,

या गर्मी की धूप सी अकुलाई।

प्रश्न मन में ,नही मिलता कोई उत्तर

आखिर कौन हूँ मैं?

किसान के लिए खेतों में लहलहाते फसलों सी उम्मीद,

या बगीचे में आमों के पेड़ों पर गदराए मोंझर,

बारिश के इतंजार में चलती शीतल बयार सी

मनमोहक,

या फिर गरजते बादलों सी बनी भयानक,

आखिर कौन हूँ मैं?

कभी नन्हें बच्चों सी मासूम सरल,

कभी अल्हड़ यौवना सी चंचल,

कभी जिम्मेदारियों के प्रति सजग,

या फिर कभी उच्श्रृंखल भावनाओं पर बाँध लगाती,

आखिर कौन हूँ मैं?

कभी शांत सी नदी सी बहती कलकल,

कभी समुन्द्र की तूफानों सी भयंकर,

कभी पहाड़ी स्थानों की जलवायु सी मनभावन,

कभी उन पहाड़ी राहों सी टेढ़ी मेढ़ी,

तो कभी सपाट मैदानों सी सरल

आखिर कौन हूँ मैं?

कभी साँझ के दीपक सी रोशन,

कभी बिजली के बल्बों सी जगमग,

कभी रात की तारों सी टिमटिम,

तो कभी जुगनू सी आस को करती रोशन।

आखिर कौन हूँ मैं?

कभी बन जाती माँ सी दयालु,

कभी प्रेमिका सी मतवाली,

कभी बहन सी नोंक झोंक वाली,

कभी बीबी सी परवाह करने वाली,

और कभी दादी नानी सी उपदेशक,

आखिर कौन हूँ मैं?

कभी सब्र की कड़वाहट को मन में उतारती,

कभी संतोष सी जीवन को संभालती,

कभी धैर्य से मुश्किलों को पहचानती,

कभी चट्टान सा हिम्मत लेकर 

जीवन रण को स्वीकारती,

आखिर कौन हूँ मैं?

प्रश्न मन में हर वक्त कुलबुलाते,

क्या मेरा नाम है मेरा परिचय,

या फिर मेरा मुकाम है पहचान,

या मेरे व्यवहार को मिले सम्मान,

बेटी हूँ ,बहन हूँ ,मित्र हूँ,सखी या सहेली हूँ

किसी की चाहत हूँ,

या किसी की जरूरत हूँ,

आखिर कौन हूँ मैं?


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