Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

kavita Chouhan

Abstract

4  

kavita Chouhan

Abstract

आई होली

आई होली

1 min
255


मतवालों की चली रे टोली

फागुन की फिर आई होली

सेव ,चकली,गुझिया बनाई

पकवानों की सुगंध आई


बच्चे,बूढ़े सब रंग जाये

अजब गजब से वो दिखलायें

किशन राधा ने रास रचाया

होली का ये रंग सजाया


पिचकारी की रंगीन धारा

गुब्बारों ने अम्बार लगाया

रंग से गये घर और द्वारे

इक दूजे को देखे पुकारे


लाल,गुलाबी, पीला,नीला

रंग सूखा तो कोई गीला

अबीर, गुलाल और भभूति

नफरत,ईर्ष्या की दे आहूति


खाकर गुझिया भाँग पीलो

आओ मिलकर अब सब खेलो

खुशियाँ और मस्ती यूँ साजे

ढोल,मृदंग, नगाड़ा बाजे


पलाश पल्लव ने सुगंध घोली

नीले अम्बर के मुख पे रोली

शीत ऋतु की हुई विदाई

ग्रीष्म की आहट है आई


साजन सजनी की बात निराली

पिचकारी से वो रंग लगायें

सजनी खड़ी देख शरमाये

रंग बिरंगी न्यारी सी होली

भीगी अंगिया भीगी चोली


खिले टेसू लदी अमराई

मद्धम हवा से सुगंध आई

अमलतास के फूल अनोखे

केसरिया और पीले होते


 नफरत, बैर को भुलाएँ

आओ सबको गले लगाएँ

प्रेम, स्नेह की ये हमजोली

झूमों,नाचो आई होली।।


Rate this content
Log in