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आ गया है बसंत

आ गया है बसंत

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अब गगन से उतर,आ गया है बसंत।

करने स्वागत धरणि, भाव मन में अनंत।


ताल पोखर सरित झरने उल्लासमय।

अब प्रकृति का धरा से, मिलन का समय।

खिलखिलाए कमल वास है दिग्दिगंत।

अब गगन से उतर आ गया है बसंत।


अब धरा क्षितिज तक, है रंगीन सब।

नेह विह्वल धरा, मद से मतिहीन सब।

भाव श्रृंगार के, कुछ का कुछ किम् बदंत।

अब गगन से उतर, आ गया है बसंत।


पक्षी कलरव करें, नेह सब में भरें।

जो रहें सुष्क वो,अब बसंत में तरें।

वर्ष भर के प्रतीक्षित, मिले काम कंत।

अब गगन से उतर, आ गया है बसंत।


ताल में ये कुमुदिनी, खिली वासमय।

लतापुष्प हैं खिल कर उल्लासमय।

सब हुए बावरे, मद में सब हैं हसंत।

अब गगन से उतर, आ गया है बसंत।


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