23 मार्च एक शहीद-दिवस
23 मार्च एक शहीद-दिवस
आज 23 मार्च है
मैं कर रहा हूँ, दोस्तों शहीदों की बात है
देश के लिये जिन्होंने जिंदगी को मारी लात है।
मैं बात करता हूं,
अमर शहीदों सुखदेव,भगतसिंह, राजगुरु की,
फाँसी चढ़कर जिन्होंने अंग्रजो को दी मात है।
ख़ूब जुल्म किये,खूब सितम किये
फिऱ भी न टूटे ओ हिंदुस्तानी हाथ है,
ख़ूब लोभ दिया,ख़ूब प्रलोभन दिया
सांसो तक का अनमोल तोहफ़ा दिया,
बन जाओ मुख़बिर ओ भगतसिंह आजाद है
कहा भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरू ने एकसाथ है।
तुम अपनी खैर करो अंग्रेजों
हम मां भारती के लाल हैं,
गुरु गोविंद सिंह का सर पर हाथ है,
मर जायेंगे,मिट जाएंगे,
न करेंगे ग़द्दारी हम वतन के साथ हैं।
पर यारों रोशनी सदा अंधेरे को खटकती है
निशा की यारों सूरज की किरणों से फटती है
अंग्रेजो ने दी उन्हें फांसी की सज़ा बिना बात है
ओ फिऱ भी बोले इंकलाब जिंदाबाद है।
जीत आख़िर में दोस्तों सत्य की हुईं
उनकी शहीदी हमारे दिल की आवाज़ हुई,
छोड़ना ही पड़ा अंग्रेजों को भारत
भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरु,आज़ाद,बोस
आदि क्रांतिकारियों की विजय हुई।
आज वो अनगनित शहीद हमको आते बहुत याद हैं
इंकलाब जिंदाबाद कहने वाले ओ भगतसिंह,
जब तक सूरज,चाँद रहेगा
हमारे दिल मे तेरा नाम रहेगा।
तेरी रोशन किरणों से होती रहेगी सदा हमारी बात है।