गुज़रा वो वक्त जब हम साथ थे, हो गये मानो सभी आभास है, गुज़रा वो वक्त जब हम साथ थे, हो गये मानो सभी आभास है,
कभी सोचा न था... कभी सोचा न था...
नन्हा सा बालक वो खेलता था सिंह से जो, शौर्य का रस रंग छलका हो भरत बनकर , धरा को अपने नन्हा सा बालक वो खेलता था सिंह से जो, शौर्य का रस रंग छलका हो भरत बनकर ...
प्यार का क्या है! प्यार का क्या है!
और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो। और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो।
बन कर फल कभी थोड़े कच्चे तो कभी थोड़े पक्के, लटकते अधटूटी टहनियों से दिखावी रिश्ते। बन कर फल कभी थोड़े कच्चे तो कभी थोड़े पक्के, लटकते अधटूटी टहनियों से दिखा...