STORYMIRROR

BANDITA Talukdar

Drama

2  

BANDITA Talukdar

Drama

पत्र

पत्र

1 min
242

राज शाम लिखती हूँ तुम्हारे

नाम की एक चिठ्ठी

कभी कभी सोचती हूँ

भेज दूँ सारी !


फिर सोचती हूँ

क्या फ़ायदा भेज के

अगर तुम्हें हालत

समझना आता तो

थोड़िना हमें छोड़ के जाते !


माँ की बुढ़ापे की

लाठी बनने की उम्र में

तुमने तो हाथ ही तोड़ दिया

पर क्या हुआ,

बेटा साथ नहीं तो

उनकी बहू उनकी

बेटी बनके हमेशा

हर फर्ज़ निभाएंगी।


हाँ हो सके तो कभी

चिट्ठी भेज देना माँ के नाम

उनकी साथ नहीं दे सकते तो

कम से कम जीने का

सहारा ही बन जाओ।


Rate this content
Log in

More english poem from BANDITA Talukdar

Similar english poem from Drama