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हमें आपकी आदत हो गई ! दिन रात की अदावत हो गई। हमें आपकी आदत हो गई ! दिन रात की अदावत हो गई।
आशा के विस्तार से आभा के निस्तार से आशा के विस्तार से आभा के निस्तार से
फक्कड़ फकीर सा मेरा मन ! सिमटती लकीर सा मेरा मन ! फक्कड़ फकीर सा मेरा मन ! सिमटती लकीर सा मेरा मन !
मैत्री भाव की पराकाष्ठा अति सुंदर हाथों का हाथों से मिलना होगा! मैत्री भाव की पराकाष्ठा अति सुंदर हाथों का हाथों से मिलना होगा!
घोसलों से निकल पंख फड़फड़ाने लगे ! घोसलों से निकल पंख फड़फड़ाने लगे !
आदिकाल से अनंतकाल नदी तुम बहती क्यों हो ? आदिकाल से अनंतकाल नदी तुम बहती क्यों हो ?
तटबंध तोड़ चली पीर में डूबी नदी ! तटबंध तोड़ चली पीर में डूबी नदी !