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ऐसे ही रूठी तो में खुद से हूँ फिर मुझे कोई और कैसे मनाएगा ऐसे ही रूठी तो में खुद से हूँ फिर मुझे कोई और कैसे मनाएगा
घर की चाभियों को तो साड़ी के कोर से कस के गिरह बाँध सकती हो ,खो जाने पर इसकी प्रतिलिपि भी बनवा सकती ... घर की चाभियों को तो साड़ी के कोर से कस के गिरह बाँध सकती हो ,खो जाने पर इसकी प्र...
रिश्तों को नाम देने के बावजूद वो कब पराये हो जायें....क्या मालूम। रिश्तों को नाम देने के बावजूद वो कब पराये हो जायें....क्या मालूम।
अच्छा तो यह हो कि हम ज़िन्दगी की जंग आपस में नहीं बल्कि एक-दूसरे के साथ कंधे से क... अच्छा तो यह हो कि हम ज़िन्दगी की जंग आपस में नहीं बल्कि एक-दूसरे के ...
अच्छा है, इन यादों का सफर मेरी साँसों तक है बस फिर चाहकर भी ये यादें... अच्छा है, इन यादों का सफर मेरी साँसों तक है बस फिर चाहक...
अपनी खामोशियों को अब सही मायने में अल्फ़ाज़ दीजिये। अपनी खामोशियों को अब सही मायने में अल्फ़ाज़ दीजिये।
पहले अपनी हर एक कमी छुपाने को तेरी ख़ामियाँ दुनिया को बतलाती तूने मुझे एक दुनिया दी, उस दुनिया में ... पहले अपनी हर एक कमी छुपाने को तेरी ख़ामियाँ दुनिया को बतलाती तूने मुझे एक दुनिय...
आम आदमी हूँ मैं, मेरे घर का पता ही मुझे मेरा पता लगता है घर का पता इतनी अच्छी तरह से याद है मुझे आम आदमी हूँ मैं, मेरे घर का पता ही मुझे मेरा पता लगता है घर का पता इतनी अच्छी ...
आज यह तिरंगा अपने सपूतों को हवाओं की मीठी मीठी थपकियाँ दे रहा है। आज यह तिरंगा अपने सपूतों को हवाओं की मीठी मीठी थपकियाँ दे रहा है।
बात अब भी लोग फ़रिश्तों ही सी करते हैं रूह को क़ैद रखा है जिन्होंने सदियों से बात अब भी लोग फ़रिश्तों ही सी करते हैं रूह को क़ैद रखा है जिन्होंने सदियों से