सृजन नहीं करता मैं कविता का.. मै जो हू बस वही लिखता हूँ.. मै स्वयं में एक अंतहीन कविता हूँ.. मै स्वयं को ही लिखता और पढ़ता हूँ.. मै कविता में हूँ.. कविता मुझ में है.. मेरी हंस कविता मे है.. मै हंसा कविता का हूँ.. मैं ही कविता और मैं ही कवि हूँ.. कविता मेंरी और मैं कविता का हूँ ... Read more
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