कुछ शब्द जो बिखरे थे,समेटना चाहती हूँ।आपको पसंद आये तो मुझे फॉलो करें।धन्यवाद
खता तो हमारी ही कहलाएगी किसी खुदगर्ज को हम सनम समझ बैठे। खता तो हमारी ही कहलाएगी किसी खुदगर्ज को हम सनम समझ बैठे।
संकीर्णता के दायरे में सिमटकर अपनी विचार को कैदी न बना पाएंगे संकीर्णता के दायरे में सिमटकर अपनी विचार को कैदी न बना पाएंगे
यूँ बारिश की बूंदों में खुद को भिगाया न करो, हम दीवानों के दिल को आग लगाया न करो। यूँ बारिश की बूंदों में खुद को भिगाया न करो, हम दीवानों के दिल को आग लगाया न ...
मिल गया वो सुकून जिसकी मैंने कल्पना की। मिल गया वो सुकून जिसकी मैंने कल्पना की।
पाक मुहब्बत को इनकार भी करूँ कैसे। पाक मुहब्बत को इनकार भी करूँ कैसे।
हमसे ही बने उन 'काँच के सपनों' की बारात आ गई। हमसे ही बने उन 'काँच के सपनों' की बारात आ गई।
देख कोई दिलकश ख़्वाब, मदहोश सी हो जाती आँखें। देख कोई दिलकश ख़्वाब, मदहोश सी हो जाती आँखें।
जख्मी दिल रह गया यहाँ भी तन्हा। जख्मी दिल रह गया यहाँ भी तन्हा।
देखे सजन जब एक टक इनको शर्म से गुलाबी हो जाती ये झुकी पलके देखे सजन जब एक टक इनको शर्म से गुलाबी हो जाती ये झुकी पलके
आँखों में आंसू भर आई आँखों की नमी भी मेरी तुम्हें पिघला ना पाई आँखों में आंसू भर आई आँखों की नमी भी मेरी तुम्हें पिघला ना पाई