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बूंद बूंद को ना तरसो तुम, ऐसा वह सावन देती। बूंद बूंद को ना तरसो तुम, ऐसा वह सावन देती।
कहीं हुकूमत कहीं अत्याचार बलात्कारी तो कभी असहनीय पीड़ा वाले शब्दों के आघात। कहीं हुकूमत कहीं अत्याचार बलात्कारी तो कभी असहनीय पीड़ा वाले शब्दों के आघात।
मेहनत करते कुछ मजदूर बच्चों का बचपन खो जाता है! उम्र से पहले ही वो बहुत बड़ा हो जाता। मेहनत करते कुछ मजदूर बच्चों का बचपन खो जाता है! उम्र से पहले ही वो बहुत...
सब कुछ करती है अपने परिवार के लिए , पर मिलता क्या है ? अपमान ! सब कुछ करती है अपने परिवार के लिए , पर मिलता क्या है ? अपमान !
फिर निरन्तर आगे बढ़ना और इसी में खुशी तलाश कर मुस्कुराना। फिर निरन्तर आगे बढ़ना और इसी में खुशी तलाश कर मुस्कुराना।
अब खुद का दम वो भरती है प्रायः गाँव की स्त्री ऐसे जीती है, और ऐसी ही मरती है। अब खुद का दम वो भरती है प्रायः गाँव की स्त्री ऐसे जीती है, और ऐसी ही मरती है।