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शब्दों की तकरार बन गई अब वार, दहेज की मांग का ना कर पाई तिरस्कार। शब्दों की तकरार बन गई अब वार, दहेज की मांग का ना कर पाई तिरस्कार।
मैं पुस्तकालय की अस्तित्वहीन किताब हूँ। अपने योग्य पाठक की तलाश में। मैं पुस्तकालय की अस्तित्वहीन किताब हूँ। अपने योग्य पाठक की तलाश में।
कुछ रंग बाकी हैं, कुछ उमंग बाकी हैं। उम्मीद ना छोड़ो, अभी बसंत बाकी है ! कुछ रंग बाकी हैं, कुछ उमंग बाकी हैं। उम्मीद ना छोड़ो, अभी बसंत बाकी है !
उसका जीवन दुख और अपमान की वीर-गाथा है। संघर्ष और बलिदान से भरी एक दुखद कथा है। उसका जीवन दुख और अपमान की वीर-गाथा है। संघर्ष और बलिदान से भरी एक दुखद कथा है...
जीवित है मनुष्य चेतना लुप्त है कहीं पर मुर्दों में ही सही इन्द्रीय-ज्ञान मिल जाए। जीवित है मनुष्य चेतना लुप्त है कहीं पर मुर्दों में ही सही इन्द्रीय-ज्ञान मिल ...
बहने दे झरने को तू नदियों में वास कर, लहरों से लड़ -झगड़ अब ना मन उदास कर। बहने दे झरने को तू नदियों में वास कर, लहरों से लड़ -झगड़ अब ना मन उदास कर।
रंगमंच के खेल का किरदार तो बस एक बहाना था, अंधे-बहरों की महफिल में एक सच्चा किस्सा सु रंगमंच के खेल का किरदार तो बस एक बहाना था, अंधे-बहरों की महफिल में एक सच्चा क...