मैं एक छात्र हूं। अपने जिन्दगी में हुए अनुभवों को शब्दों में पिरोकर कविताएं और कहानियां लिखता हूं।
मेले बीत जाने के बाद , सड़कें मैदानें कहो क्यूँ गंदे मिल जाते हैं।। मेले बीत जाने के बाद , सड़कें मैदानें कहो क्यूँ गंदे मिल जाते हैं।।
ज्यों ही पलटा उसके पन्नों को मैंने, मिली मुझे उनमें रातें भी कई ज्यों ही पलटा उसके पन्नों को मैंने, मिली मुझे उनमें रातें भी कई
जिसे भेजा गया था मेरी जिंदगी में जिसे भेजा गया था मेरी जिंदगी में
वो थाम ले जो हाथ मेरा, तो दरिया भी लगता समंदर है। वो थाम ले जो हाथ मेरा, तो दरिया भी लगता समंदर है।