कुछ मन कही, कुछ जग सुनी, कुछ कल्पना की उड़ान, बुन लिए शब्द और बन गई कहानी।
फिर से जाते हुए पतझड़ में आती हुई बहार का। फिर से जाते हुए पतझड़ में आती हुई बहार का।
एक मुड़ा-तुड़ा कागज़ का टुकड़ा...। एक मुड़ा-तुड़ा कागज़ का टुकड़ा...।
मंजिल के लिए तरसना मेरी तकदीर शिकायत तुझसे क्या करूँ ...। मंजिल के लिए तरसना मेरी तकदीर शिकायत तुझसे क्या करूँ ...।
कचोटते हैं ह्रदय-तल को अडिग-अविरल लिए स्थायित्व। कचोटते हैं ह्रदय-तल को अडिग-अविरल लिए स्थायित्व।
प्रेम की पराकाष्ठा क्या है ? एक बड़ा प्रश्न ...जवाब मुश्किल पर कोशिश करते रहते हैं हम ..... प्रेम की पराकाष्ठा क्या है ? एक बड़ा प्रश्न ...जवाब मुश्किल पर कोशिश करते रहते है...
बस नज़र भर के और मुस्कुरा देना सोचो तो जरा कोहरा छा जाने से, कम तो नहीं हो जाता सूरज का वजूद..... बस नज़र भर के और मुस्कुरा देना सोचो तो जरा कोहरा छा जाने से, कम तो नहीं हो ...
औरतें एलियन ही तो होती हैं तभी तो उन्हें देख कर सब रुक जाते हैं औरतें एलियन ही तो होती हैं तभी तो उन्हें देख कर सब रुक जाते हैं
मगर वो फिर भी नहीं आता बस याद ही आती है, दूर कहीं झूले लगे देखती हूँ, मगर वो फिर भी नहीं आता बस याद ही आती है, दूर कहीं झूले लगे देखती हूँ,
फैली हथेलियाँबारिश को समेटने को आतुर थीलेनी थी महक सोंधी-सोंधी सी।मन को ना छू सकीगिर गई छू कर हथेलिय... फैली हथेलियाँबारिश को समेटने को आतुर थीलेनी थी महक सोंधी-सोंधी सी।मन को ना छू सक...
वे वट-वृक्ष सी मज़बूत औरतें... वे वट-वृक्ष सी मज़बूत औरतें...