student of literature, जो लिखता हूँ सच को ढाँचा बनाकर बदलाव का आकार देकर लिखता हूँ, ©SahityaGrapher ©syaahikasahitya075
मैं प्रहार नहीं हूं, मैं पहाड़ नहीं हूँ, मैं स्रोत हूँ कहीं, मैं प्रहार नहीं हूं, मैं पहाड़ नहीं हूँ, मैं स्रोत हूँ कहीं,
तमाम कसमे तमाम वादे एक 5 मीटर के कपड़ो से लिपट मेरे साथ चला जायेगा, तमाम कसमे तमाम वादे एक 5 मीटर के कपड़ो से लिपट मेरे साथ चला जायेगा,
प्यास मिटे हर प्यासे की, गूंगे को सुर और ताल मिले। प्यास मिटे हर प्यासे की, गूंगे को सुर और ताल मिले।
वो खुलकर कहीं सच्चाई बदलनी चाहिए, खुलासा हो कहीं तो फिर स्याही बदलनी चाहिए। वो खुलकर कहीं सच्चाई बदलनी चाहिए, खुलासा हो कहीं तो फिर स्याही बदलनी चाहिए।
मातृ शक्ति का श्रृंगार है अंगड़ाई, पुरुषत्व जा प्रमाण है अंगड़ा ! मातृ शक्ति का श्रृंगार है अंगड़ाई, पुरुषत्व जा प्रमाण है अंगड़ा !
तुम मिटा सकते हो मुझे संवार नहीं सकते, तुम नज़र लगा सकते हो नज़र उतार नहीं सकते। तुम मिटा सकते हो मुझे संवार नहीं सकते, तुम नज़र लगा सकते हो नज़र उतार नहीं सकते...
दशमी में शास्त्रों और शस्त्रों की पूजा होती है, विसर्जन के समय हर आँख रोती है, दशमी में शास्त्रों और शस्त्रों की पूजा होती है, विसर्जन के समय हर आँख रोती है...