समाजिक कुरीति, कुप्रथा, भ्रष्टाचार, भ्यविचार, अनाचार, के विरुद्ध लिखना ही मेरा प्रथम लक्ष्य है
रीति की अर्थी सजाकर, सभ्यता से हो विलग हम, सद्य कर अभिदान पावक में जलाने जा रहे हैं। रीति की अर्थी सजाकर, सभ्यता से हो विलग हम, सद्य कर अभिदान पावक में जलाने जा...
दीनता की कहानी कहूँ और क्या, अश्रु सूखे नयन के रूलाते नहीं।। दीनता की कहानी कहूँ और क्या, अश्रु सूखे नयन के रूलाते नहीं।।
मैं निहित प्रेम के नित्य मिटती रही, किन्तु अनुमान जग में उसी का हुआ। मैं निहित प्रेम के नित्य मिटती रही, किन्तु अनुमान जग में उसी का हुआ।
करूँ पूजन करूँ वंदन, मुदित मन सद्य यक्षेश्वर। करूँ पूजन करूँ वंदन, मुदित मन सद्य यक्षेश्वर।
पावन कृत्य हो चरित्र को अपने, चलो उठाओ मेरे साथी।। द्वेष लोलुपता त्याग हृदय में, पावन कृत्य हो चरित्र को अपने, चलो उठाओ मेरे साथी।। द्वेष लोलुपता त्याग हृदय म...
प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है।। प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है।।
साधना से साधने भगवान को तुम चल दिये। साधना से साधने भगवान को तुम चल दिये।
मान पा मगरूर बनकर, कर गये तेरी उपेक्षा, मान पा मगरूर बनकर, कर गये तेरी उपेक्षा,
नयन मूंँदे चल रहे बस सुधि नहीं संतान की अब, है तिरोहित भोर आखिर और कितन नयन मूंँदे चल रहे बस सुधि नहीं संतान की अब, है तिरोहित भोर आखिर ...