एहसासों को शब्दों का रूप देने की कोशिश करती हूँ ।
सुनो….. मैं तुम्हारे शब्द बन जाऊं फिर एक गजलों का संसार बसाऊँ। सुनो….. मैं तुम्हारे शब्द बन जाऊं फिर एक गजलों का संसार बसाऊँ।
मरने से पहले ही क्यों मरा जाए चलिए मुस्कुराइये , थोड़ा जिया जाए । मरने से पहले ही क्यों मरा जाए चलिए मुस्कुराइये , थोड़ा जिया जाए ।
मौन हूँ ताकि तुम्हारा पुरुषार्थ बना रहे मौन हूँ ताकि तुम्हारा पुरुषार्थ बना रहे
थोड़ा रूठूँ , थोड़ा रो लूँ थोड़ा सा हँसता हुआ मनुहार चाहती हूँ थोड़ा रूठूँ , थोड़ा रो लूँ थोड़ा सा हँसता हुआ मनुहार चाहती हूँ