एहसासों को शब्दों का रूप देने की कोशिश करती हूँ ।
जी को करार आता होंठो पे हँसी होती जो तेरी उंगलियां मेरी उंगलियों में फसी होती ।
थोड़ी उमस है दिल में तुम आ जाओ सावन की पहली फुहार बन के