इस हिन्द को आवाज़ चाहिए …
इस हिन्द को आवाज़ चाहिए …
शोर बहुत है चारों तरफ, फिर से एक आगाज़ चाहिए।
काटने रूह के सन्नाटों को, सच्ची एक राह चाहिए ।
इस हिन्द को आवाज़ चाहिए । ।
नेताजी को चाहने वाले , इस हिन्द में तुम्हे मिल जाएंगे ।
पर उनके अस्तित्व की सच्चाई दिखने वाले , कहीं नज़र न आएँगे ॥
दबे हुए सवालों को अब, अपने जवाब चाहिए।
इस हिन्द की आवाज़ चाहिए। ।
रौशनी सिमट कर रह गयी फाइलों के जाल में ।
वाहवाही बटोर ली सबने रिपोर्टों के बवाल में ॥
अब कागज़ नहीं, अल्फ़ाज़ों को साज़ चाहिए ।
इस हिन्द को आवाज़ चाहिए ॥
हिन्द फ़ौज़ बनाई जिसने, उस शेर का जीवन खिलवाड़ बना है ।
कौन जाने इस वीर सपूत के खून से , किस दगाबाज का हाथ सना है ॥
हर छुपी उस सच्चाई का अब पर्दाफाश चाहिए ।
इस हिन्द को आवाज़ चाहिए ॥
सुभाष मरे थे विमान दुर्घटना में , तो इतनी ख़ामोशी क्यों है ।
क्यों दस्तावेज़ छुपा रखें हैं , ऐसी एहसान फरहमोशी क्यों है ॥
देश के इस सपूत को , अब उचित सम्मान चाहिए ।
इस हिन्द को आवाज़ चाहिए ॥