भरोसे का कत्ल
भरोसे का कत्ल
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भरोसे का क़त्ल हर पळ हो रहा है
हर कोई खून के आँसू रो रहा है,
जाने किसकी लगी है नज़र इसको
मेरा मुल्क शर्मसार हो रहा हैं
वहाँ सीमा पर गोळी झेलते है सिपाही
यहाँ नेता देश बेच रहा है...
वहाँ खेत में खून के आँसू रो रहा है किसान
गेहूँ भी विदेश से आ रहा है
बरसते नही यह बादल भी सरकार की तरह
बूंद-बूंद को किसान तरस रहा है
गर्दिश में है जवानी डिग्री बेमानी हो गई
बाद रहे है बेरोज़गार तबाह युवा हो रहे है
सब मगरुर है बस अपने आप में
इंसान-इंसान को धक्का दे रहा हैंl