संग्रहालय
संग्रहालय
उसने कहा कि मैंने कभी बेईमानी नहीं की
और डूब गया सदा की तरह
अपने धंधे में
उसने कहा
कि मेरे पास तो पैसा
काश्तकारी से आता है
और ख़रीद लिया
सोसायटी के घपलों से
तीसरा फ्लैट!
उसने कहा कि मैं तो सम्पादक हूँ,
टी.वी. प्रोड्यूसर हूँ;
और बेबस कलमजीवियों के पारिश्रमिक से
हड़प लिया फिफ्टी परसेंट,
दारू की बोतल,
महँगे गिफ्ट!
उसने किया
अन्धी लड़की से बलात्कार
और कोर्ट ने सिद्ध किया उसे सच्चरित्र!
उसने हत्या की
मगर फाँसी पर लटका
एक बेकसूर!
उसने डकैतियाँ डालीं
कहलाया-माफिया,
मगर खादी की टोपी में
जनता ने चुना उसे
अपना नेता!
उसने कहा
मैं झूठ कभी नहीं बोलता
फिर उसने हलके-से दबाई आँख
और मुस्कराया!
अब किताबों में पढ़े गऐ
इन शब्दों की भी सुधि ली जाऐ:
सत्य
ईमानदारी
आदर्श
चरित्र
पुण्य
करुणा
क्षमा
धृति
और लोकतन्त्र!
जो एक-एक कर सजते जा रहे
अनमोल
प्राचीन
और दुर्लभ
कलाकृतियों के
संग्रहालय में
जिन्हें बड़ी उत्सुकता से
और पूरी सहानुभूति से
देखने, चकित होने
और फिर आहें भरने के लिऐ
भारी संख्या में आती है
देश-विदेश से
नई सदी के पर्यटकों की भीड़
संग्रहालय में
घुसने से पूर्व
जो पढ़ती है-
पास के नोटिस बोर्ड पर चस्पाँ
यह चेतावनी-
कि संग्रहालय की समस्त वस्तुऐं हैं
सिर्फ़ दर्शनार्थ!
बिक्री के लिऐ नहीं
यद्यपि हर वस्तु की
क़ीमत है
करोड़ों में!
आगन्तुकों के लिऐ
उन्हें छूना मना
क्योंकि छूने से
वे हो सकती हैं मैली
और अपवित्र!
और नई सदी के पर्यटक
बड़ी गम्भीरता से
और उत्सुकता से
और हैरानी से
और सन्तोष से
और हर्ष से
और विषाद से
स्तब्ध
संतप्त
पराजित
चमत्कृत
जीवन में धन्यता का अनुभव करते
और उस क्षण को सराहते
जब उन्होंने निर्णय लिया
यहाँ की सैर का
लौटते हैं थके-हारे से
निचुड़े-सहमे से
स्मृति में लिऐ एक अलौकिक बिम्ब
इस भरोसे के साथ
कि अपना यह अनिर्वचनीय अनुभव
वे सुनाऐंगे
आने वाली नस्लों को
जिन्हें सुन
आगत नस्लें कहेंगी कि,
ऐसी शानदार गप
उनके जीवन में
कोई अन्य न सुना सकेगा
और ख़ुशी से लोटपोट हो
जो बौछार करेंगी उनपर
चुम्बनों की!