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Udbhrant Sharma

Others

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Udbhrant Sharma

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शीशे में

शीशे में

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कुत्ते!
जो गरजते हैं
वे बरसते नहीं
गधे!
तू जीवन भर
लादी ही ढोऐगा
पीठ पर
सुअर!
विष्ठा खा।
जा लोट-
गन्दी नालियों में
कौवे!
काँव-काँव
बन्द कर
गीदड़!
तेरे जैसा डरपोक
देखा नहीं
अबे लंगूर!
भाग यहाँ से
बन्दर!
जा शीशे में
देख अपना मुँह
लोमड़!
तेरी मक्कारी
चलेगी नहीं यहाँ
चूहे!
तू क्या खाकर
लड़ेगा मुझसे?
टट्टू!
ले अपना किराया
और फूट यहाँ से
गिद्ध!
क्यों नोंचता है
माँ-बाप का कलेजा?
उल्लू!
तेरी बुद्धि
कहाँ चली गई चरने?
शार्क!
ले खा मेरा शरीर
मगरमच्छ!
क्या निगल जाऐगा
सारी दुनिया ही?
घोंघे!
तुझे दिखता है
उजाड़ में भी बसन्त!


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