मैं तेरा हो गया
मैं तेरा हो गया
इक लम्हा आया था वो, इकरार मैंने जब किया |
तोड़ के सारी बंदिशें, मैं तेरे रंग में रम गया ||
न आंखों में फिर नींद थी, न कोई और ख्याल था |
तेज़ थी मेरी धडकनें, और मन में एक बवाल था ||
कुछ इस कदर, तेरा जूनून, मेरे नब्ज़ को जमा गया |
न कोई मेरी सोच थी, बस वक़्त जज़्बात जगा गया ||
तू हो करीब यह आस थी, जब इश्क के लब्ज़ कहे ||
तू दूर होके भी पास थी
यह लम्हा कुछ इस तरह मेरे मन में बस गया
मेरा खुद पे अब काबू नहीं,
मैं तेरा हो गया
जागूँ तो ख्यालों में तू, नींद लूँ तो ख्वाबों में तू
रस्ते पे जब मैं चलूँ, हर राह पे दिखती है तू
मेरी हर इबादत में, मन्नत है बस इक तू
मेरे वक़्त की तू मल्लिका, तेरा गुलाम मैं हो गया
तुने कुछ किया नहीं, फिर क्यू तेरा नशा मुझे हो गया
लोगों ने कहा की इश्क है, मै दीवाना हो गया
कुव्ह इस कदर मुझे, अब तेरी आदत हो गयी
तेरे जादू के वश में मैं कुछ ऐसा हो गया ...
मेरा काबू खुद पे नहीं,
मैं तेरा हो गया
याद तुझको क्या करूं, तू दूर जेहेन से जाती नहीं
पलक झपकने के सिवा, ओझल तू हो पाती नहीं
तुझसे ही अब सुकून है, तेरे संग देखता हूँ मैं मंजिलें
जिस राह से तू न मिले, उस राह पे हम क्यूँ चलें
किस्मत पे यकीन मझे नहीं, मेरा तो रब अब तू ही है
मंदिर जाकर क्या करूं, वह जब तू नहीं है
दुनिया कहे काफ़िर मुझे, फर्क अब पड़ता नहीं
वो इबादत कर अपने रब से दगा करते हैं, मैं अपने रब से धोखा करता नहीं
इनायत अब इस रब की हो यह उसकी मर्ज़ी है
सुना है शिद्दत से की हर इबादत, रब को सुनती है
मेरी इबादतों बस तेरा ही कलमा पढता हूँ
दुनिया से अब न है वास्ता ...
तू ही मेरा जहाँ हो गया ...
मेरा खुद पे काबू नहीं
मैं तेरा हो गया