तन्हाँ रहने की, आदत यह डाली है
तन्हाँ रहने की, आदत यह डाली है
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तन्हाँ रहने की, आदत यह डाली है
हाँ यह ख़ामोशी, मैंने ख़ुद ही पाली है
ख़ुद की बातें मैं, ख़ुद से ही कहता हूँ
फ़िक्र नहीं है कि, साथ कौन आऐगा
यह वक़्त एक दरिया है, ख़ुद ही बह जाऐगा
न आँखों में आँसू, न दिल में कोई हलचल
इक जैसा ही लगता, मुझको अब हर पल
ज़हन में मेरे, कई सवाल है
हर जवाब जो मिलता, ख़ुद में वो सवाल है
पैंतरे अजीब से, हैं यह जीवन के
जिसपे है सब कुछ, वो यहाँ बदहाल है
जो सबका है आसरा, बना ख़ुद ही सवाली है
तन्हा रहने की आदत यह डाली है
हाँ यह ख़ामोशी, मैंने ख़ुद ही पाली है