मन की आवाज
मन की आवाज
1 min
7.1K
यह एक जिंदगी की नहीं
यह हर नारी की हार है
फिर से पराजित हुई नारी
हामी भरते हैं हम अपनी आधुनिकता व विकास पर
कद्र नहीं करती समाज नारी की
जुल्म की शिकार होती रहती है नारी
दोषी ठहराते हम उसको हमेशा
हजारों उंगली उठाते उसकी अदा व पहनावे पर
पर बोलो क्या सुरक्षित है नारी परदे के पीछे