किताब का कवर
किताब का कवर
आज दिखी यादें
जो बंद थीं किताबों में
चौक के बुरादे के साथ
रखा मोर पंख
राजा, मंत्री, सिपाही ,चोर
का चिट्ठा
शून्य और क्रॉस का खेल खेला गया था
कभी किताब के कवर पर
बार बार नाम
लिखने का अभ्यास
झलका साफ़ साफ़
ज़िल्द पर
गॉड इज ऑलमाइटी
वाली पोएम
"S"लिखकर कुत्ता बनाने की कला
तभी सीखी थी मैंने
किताब का एक पेज फटा था
कुछ याद आया
देख उसे
कैसे मेरे एक दोस्त ने
फाड़ डाला था गुस्से में
मैंने चिढ़ा दिया था उसे
टकला कह
पर फटने के बाद पेज
मेरा चढ़ा था
पारा सातवें आसमान पर
एक पेज था
शायद अब भी भींगा
पानी से नहीं
आंसू से
याद नहीं कर पाया सबक
छड़ी से लगी चार
जब नन्ही हथेली पर
और कवर के एक कोने पर
लगी थी मिट्टी
जब लौटते वक़्त स्कूल से
बारिश के मौसम में
कागज़ के नाव
बहाने के चक्कर में
गिर गया था पूरा बस्ता और
साथ में मैं कीचड़ में
सड़क पर
फिर भी हम हंस रहे थे
पागल की तरह
यही सब सोचते
बुक का कवर उलट गया
लिखा था
नाम प्रतीक प्रभाकर
कक्षा तीसरी।