पीड़ा
पीड़ा
वक़्त के थपेडों से
घाव जब सिलते हैं।
पीड़ा को नित
सन्दर्भ नए मिलते हैं।
1.
वेदना सघन लिये
नस्तर सी चुभन लिये
सियासी यकीन पर
सुलगती ज़मीन पर
रिश्तों के दर्प सभी
मोम से पिघलते हैं।
पीड़ा को नित
सन्दर्भ नए मिलते हैं ।
2.
बिखरे अतीत-सी
पार्थ की जीत-सी
भाग्य की हीनता में
सुदामा-सी दीनता में
मुफलिसी के ख़्वाब
कहाँ महलों से संभलते हैं।
पीड़ा को नित
सन्दर्भ नए मिलते हैं ।
3.
दीपदान कहानी से
पन्ना की कुर्बानी से
धर्म की दुकान के
रेशमी ईमान के
हवन करते हुये भी
हाथ जहाँ जलते हैं।
पीड़ा को नित
सन्दर्भ नए मिलते हैं ।
4.
भोर के गीत-सी
विरहिणी के मीत-सी
परियों की कथा में
अन्तर की व्यथा में
करुण रुदन से "अमरेश"
अश्रु जब निकलते हैं
पीड़ा को नित
सन्दर्भ नए मिलते हैं ।