चूहेदानी
चूहेदानी
चूहों से पाने के लिऐ निज़ात
आख़िरकार
मैं ले आया एक चूहेदानी
बाज़ार से
चूहेदानी के हुक में
रोटी का मक्खन लगा टुकड़ा लगाकर
रात में ही रख दिया
घर के एक कोने में
दरवाजा उसका खुला छोड़
और उसकी स्प्रिंग को
चूहेदानी के कड़े में अटकाकर
सुबह उठा तो देखा
एक चूहे महाशय
चूहेदानी में
कर रहे थे मटरगश्ती
और उस छोटे से पिंजड़े में चक्कर काटते
इधर से उधर
यहाँ से वहाँ
खोज रहे थे
बाहर निकलने का द्वार
नहीं उन्हें मिल रहा था जो
सारी रात वे
चूहेदानी में बन्द रहे
भूख तो लगी होगी निश्चय ही उन्हें
रोटी का टुकड़ा तो
उपलब्ध था
खाया तो होगा कुछ
उत्सुकता हुई मुझे
देखा चूहेदानी के पास जा
रोटी का टुकड़ा
सही सलामत था
ज़रा भी नहीं कुतरा गया उसे
और चूहे राजा
नहीं देख भी रहे थे
उसकी ओर
एक बाद अपनी नन्ही आँखों से
देखकर मुझे
वे ज़ोरों से मचाने लगे धमाल
दौड़-दौड़
चूहेदानी के भीतर
कहाँ से
बाहर निकलें?
रोटी के मक्खन लगे
जिस टुकड़े ने
उनके क्षुधातुर मन को
चूहेदानी के भीतर जाकर
फँसने के लिऐ
किया आकर्षित
धोखे से उसमें
पाकर बन्द स्वयं को
उनकी भूख
हो गई ग़ायब
उनकी पेट भरने की विवशता ने
उनकी कम बुद्धि ने
जो पढ़ने-लिखने के अभाव का
कारण थी
उन्हें दे दी जेल अनायास,
अयाचित उन्हें
ग़ुलामी की बेड़ियों में
क़ैद कर लिया गया
भोजन के अभाव में
वे अधिक समय नहीं रहेंगे ज़िन्दा
किन्तु रातभर उनके सामने
सुस्वादु भोजन था उपलब्ध जो
उसकी ओर दृष्टि उठाकर भी
देखा नहीं उन्होंने
उन्हें यह महसूस हुआ:
यह पौष्टिक भोजन-उफ़
जिसकी चाहत ने
उन्हें बन्द किया चूहेदानी की जेल में-
‘इसे खाने से तो अधिक अच्छा है
मर जाना!’
उन्होंने यह भी सोचा
‘रूखा-सूखा खाकर
जिस तरह वे
कर रहे अपना जीवन-यापन थे-
वह तो वस्तुतः उनका
समय था सर्वोत्तम;
और अगर कभी वे
मुक्त हो गऐ
इस कारागृह से
तब वे निश्चय ही
रूखी-सूखी ही खाकर
स्वतन्त्रता की साँसें लेते हुऐ
जीवन बिताऐंगे अपना।’
तभी उन्होंने देखा:
वह चूहेदानी जिसमें वे बन्द थे
हवा में उठी धीरे-धीरे,
चलने लगी हवा में ही
घर के मालिक की
ख़रामा-ख़रामा चाल से
अचानक खुला दिखा उन्हें
चूहेदानी का दरवाज़ा
और एक बार भी
सुस्वादु रोटी के टुकड़े की ओर
नहीं देखते हुऐ
उन्होंने छलाँग मारी
उस क़ैद से निकलने को
सामने खुले दिखते
विस्तृत मैदान में
और फिर
उनकी दहाड़
सुनाई दी
पूरे देश में!
उस दहाड़ से
भयभीत हो
चूहेदानी का मालिक
बदल गया चूहे में!
उसे दिखाई दिया
चूहेदानी के खुले द्वार से झाँकता
रोटी का टुकड़ा
और उसके नथुनों ने सूँघी
उस पर लगे मक्खन की
स्वादिष्ट गन्ध
अगले क्षण
वह चूहेदानी में क़ैद!