कल रात सारे गरीब अमीर हो गए कल रात सारे गरीब अमीर हो गए
सबकुछ ख़तम चारो और मातम ही मातम कहे भी तो किसे अंधे गूंगे बहिरे सारे। सबकुछ ख़तम चारो और मातम ही मातम कहे भी तो किसे अंधे गूंगे बहिरे सारे।
तुमसे परिचय हुआ हृदय का, मंज़िल मिली मुसाफिर को छुअन तुम्हारी मूरत देकर चली गई मन मन्दिर को ऐसा कुछ आ... तुमसे परिचय हुआ हृदय का, मंज़िल मिली मुसाफिर को छुअन तुम्हारी मूरत देकर चली गई मन...