लेखक: अलेक्सांद्र रास्किन ; अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: अलेक्सांद्र रास्किन ; अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
“बाबू जी, आजकल कुत्तों के पेट भरे हैं और इंसान के खाली। “बाबू जी, आजकल कुत्तों के पेट भरे हैं और इंसान के खाली।
और ब्रेड से उसकी तली भी साफ़ कर दी, और चम्मच भी चाटकर साफ़ कर दिया। और ब्रेड से उसकी तली भी साफ़ कर दी, और चम्मच भी चाटकर साफ़ कर दिया।
चोरी और वो भी ब्रैड की चोरी, बहुत शर्मनाक जुर्म है चोरी और वो भी ब्रैड की चोरी, बहुत शर्मनाक जुर्म है