एक आम इंसान को फ़ौजी तभी याद आते हैं जब देश लड़ाई की स्थिति में हो एक आम इंसान को फ़ौजी तभी याद आते हैं जब देश लड़ाई की स्थिति में हो
पिता का माँ का बेटी का नमाजी का पंडित का फौज़ी का भिखारी का सपना हर किसी का अपना सपना पिता का माँ का बेटी का नमाजी का पंडित का फौज़ी का भिखारी का सपना हर किसी का अपना ...
लेखक: विक्टर गल्याव्किन अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर गल्याव्किन अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
कितना रोका था उसको फ़ौजी बनने से। पर उसने मेरी एक न सुनी थी कितना रोका था उसको फ़ौजी बनने से। पर उसने मेरी एक न सुनी थी