सोना रो रही है, मेरे कंधे से लग के, बार बार कह रही है कि उसने कभी नहीं सोचा था कि दिनेश नक़ल करके पास... सोना रो रही है, मेरे कंधे से लग के, बार बार कह रही है कि उसने कभी नहीं सोचा था क...
लेखक : अलेक्सान्द्र पूश्किन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : अलेक्सान्द्र पूश्किन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
गुड़िया को परेशान करने में उसे बहुत मज़ा मिलता था, खासकर रक्षाबंधन के दिन। गुड़िया को परेशान करने में उसे बहुत मज़ा मिलता था, खासकर रक्षाबंधन के दिन।