एफ. आई. आर. तनहा शायर हूँ एफ. आई. आर. तनहा शायर हूँ
मित्रों की किताबें आतीं तो मैं खरीद कर मुफ्त बांटता। मित्रों की किताबें आतीं तो मैं खरीद कर मुफ्त बांटता।
बनाओ मत मुझे ज़रियाँ ना अपना मुझसे मलतब निकालों। बनाओ मत मुझे ज़रियाँ ना अपना मुझसे मलतब निकालों।