लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
बन जायेगा जन्मो का बंधन, कब जाना था, जाना होगा इतना मुश्किल यह कब सोचा था बन जायेगा जन्मो का बंधन, कब जाना था, जाना होगा इतना मुश्किल यह कब सोचा था