दो दिन पहले जब से एक लकड़हारे को काँधे पर कुल्हाड़ी लिए यहां से उस ओर जाते देखा है, तब से तमाम कोलाह... दो दिन पहले जब से एक लकड़हारे को काँधे पर कुल्हाड़ी लिए यहां से उस ओर जाते देखा ...
आँखें मूँद कर वो साइकल की घंटियाँ, बुजुर्गों के ठहाके, अख़बार की आवाज़ और चाय की ख़ुश्बू महसूस करने ... आँखें मूँद कर वो साइकल की घंटियाँ, बुजुर्गों के ठहाके, अख़बार की आवाज़ और चाय की...