कभी कभी ऐसा भी होता है कि एक छलांग में आदमी पा जाता अपनी मंजिल। कभी कभी ऐसा भी होता है कि एक छलांग में आदमी पा जाता अपनी मंजिल।
आँखें मूँद कर वो साइकल की घंटियाँ, बुजुर्गों के ठहाके, अख़बार की आवाज़ और चाय की ख़ुश्बू महसूस करने ... आँखें मूँद कर वो साइकल की घंटियाँ, बुजुर्गों के ठहाके, अख़बार की आवाज़ और चाय की...