साइकल
साइकल
आंगन में बैठे हुए पिता बेटी की बातचीत
"सुहानाा!तूने देखा तेरी सब सहेलियां साईकिल चलाने लगी है?"
"पापा आपको पता है न?मुझे नहीं आती साईकिल चलानी!"
"तो सीखनी चाहिए तभी आएगी सीख के कोई जन्म नहीं लेता ,चल हम सीखने चलते है आज।"
"आपको पता है न!हमारी सुहाना डरती है ,फिर क्यों जिद पकड़ी है आपने!सब भले चलाए साईकिल जरूरी थोड़ी ही है सुहाना को आना ही चाहिए साईकिल चलाना!?"
( सुहाना की दादी उसके पिता को समझाती बोली)
"मां उसने अपना डर एक तरफ करना ही पड़ेगा,एक बात आप जान लो डर के कारण आगे बढ़ना छोड़ना नहीं चाहिए,मै उसे उसकी सहेली का उदाहरण देकर उसे प्रोत्साहित करना चाहता हूं,सुहाना को अंदर पानी लेने के बहाने भेज कर अपनी मां को समझाते हुए बोले ।"
"साइकल निकाल मै साईकिल का हैंडल ओर सीट दोनो पकड़कर तेरे साथ चलूंगा,तू डर मत बेटा तेरा बाप है तुझे भरोसा है न मूजपर?मै तुझे गिरने दूंगा बोल!"
"पापा आप सच मै मेरे साथ रहोगे न!तो ठीक है मै सीखूंगी साईकिल"
एक चक्कर लगाया,दो लगाए फिर ....."देख बेटे अब हैंडल मै नहीं पकडूंगा तेरे पीछे चल रहा हूं सीट पकड़ी है मैंने तू चला साईकिल" कहकर पिता ने अपना हाथ हैंडल से हटा लिया
थोडी दूर तक चली बहुत अच्छे से मुड़के देखा पिता पीछे नहीं थे तो डर के मारे गिर गई पर पिताने चोट नहीं आने दी।
"पापा आप क्यों साथ नहीं चले ,सीट पकड़ी थी न आपने कहा था न मुझे?तो कैसे आप मेरे पीछे नहीं थे?में तो अकेले चल रही थी,ओह हा मै तो अकेले चल रही थी यानी मुझे साईकिल चलाना आ गया!?"
"कुछ समझी बेटा? मै तुझे पकड़ कर रखता तो तू अकेले साईकिल चलाना नहीं सीख पाती,मैंने चलना सिखाया,तेरा हाथ शुरू मै थामा,तुझे गिरने नहीं दिया संभाल कर रखा फिर जब तुझे चलाना आ गया मैंने तुझे अकेले चलने दिया तू खुद चलाना सीख पाए इसलिए तुझे मेरी ज़रूरत हो मै तुरंत आ जाऊंगा वो फिर साईकिल हो या ज़िन्दगी ,तू गिर जाए तुझे चोट नहीं आने दूंगा,तुझे सहारा तब ही दूंगा जब तू चल ना पाए,डर अपने मन से निकल गया तो तू चलना सीख गई,तुझे भरोसा था मजपर की मै तुझे गिरने नहीं दूंगा ओर सही तरह चलना सिखाऊंगा साईकिल,तो बेटे जिंदगी मै भी वैसे ही कभी डरना नहीं तेरे पापा तेरे पीछे ही होंगे फिर चलना सीख भी गई हो तब भी,जब तू कोई रास्ते पर चलना न जाने तब तेरे साथ तेरे पिता खड़े होंगे।"
इसे कहते हैै" #MyDadMyHero
