Hetshri Keyur

Children Stories Tragedy Inspirational

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Hetshri Keyur

Children Stories Tragedy Inspirational

अखिलेश

अखिलेश

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"मम्मा चल ना मुझे जोरो से सूसू आयि है, गाड़ी साइड पर लगवा दे मै रोक नहीं पाऊंगी!"नन्ही नियति अचानक नींद मै से उठ खड़ी होकर बोली।

"बेटा देख हम अपनी गाड़ी मै है इसका मतलब यह तो नहीं चाहे तब गाड़ी रोक सकते है!देख हम अगर बस मै जा रहे होते तो तू क्या करती!?तेरे लिए हम गाड़ी खड़ी कर सकते है पर यह सही बात नहीं तुझे थोड़ा सेहना आना चाहिए! " 

रमा ने उसे समझा कर बैठाया, थोड़ी देर मै होटल आ गया, सब नीचे उतरे, नन्ही नियति दौड़ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी तभी एक चीज देखकर रुक गई।

"मम्मा ! मुझे टॉफी दिलादो न! मुझे हर बार आप मना करते है!" " तू पहले वॉशरूम जा कर आ फिर दिलाऊंगी मेरी बेटी कब से मांग रही है मै दिलाऊंगी।"।बेटी को प्यार पूर्वक समझाकर साथ लिए रमा चलने लगी।

बारिश हो रही थी रमा नियति को ध्यान रखकर चलने को कह रही थी, बारिश मै नियति भीग न जाए इसलिए बचते बचते वॉशरूम पोहचते है दोनो। " देख मुंह बंध करके रखना, यहां वहां छूना नहीं! गंदगी होती है।" नियति को रमा ने उसकी भलाई के लिए कहा।

जब तक नियति बाहर आती उसका ध्यान एक बच्चे पर पड़ा, वोह वॉशरूम के पास खिलौना लिए बैठा था। 

"नियति को अजीब लगा, तेरा नाम क्या है बेटे?यह जगह गंदी होती है यहां क्यों बैठा है?" 

"मेरा लड़का है अखिलेश!" अंदर से आवाज़ आई

अंदर सफाई कर रही एक महिला हाथ मै सफाई का समान लिए आयी ओर बोली, "मेरा लड़का है मै यह जगह का ख्याल रखती हूं घर पर कोई है नहीं तो साथ मै लेकर आती हूं।"

 "पर गंदी जगह है आपका लडका बीमार हो जाएगा!बाहर बैठाइए!"

 "बाहर बारिश है ओर लोग आते है कोई उठा ले गया मेरे बच्चे को तो!एक बात बोलूं मेडम जी!राम है ना जिसने दिया है वोह ध्यान रखेंगे उसे कुछ नहीं होगा, हम कुछ नहीं होगा सोचकर बाहर अकेले नहीं बैठा सकते अपना फ़र्ज़ है हम निभाए खयाल रखे फिर गंदगी है बीमार होगा वैसे सोचना नहीं चाहिए वोह ऊपरवाला बैठा है कोई नहीं उसका ऊपरवाला है कुछ नहीं होने देगा!"

 "तो यह लड़का पढ़ने नहीं जाता?अरे अखिलेश चौथी कक्षा मै पढ़ता है अपनी शाला से सीधा यह जगह बैठ जाता है मेरे साथ रहता है मेरा हाथ बटाया करता है मै उसे कम नहीं करने देती फिर खेलने लगता है ओर पढ़ता है तब तक शाम हो जाती है! बाहोत होशियार है मेरा लड़का हर साल अव्वल आता है कहेता है मै पढ़ लिख बड़ा आदमी बनूंगा आपको यह काम करना नहीं पड़ेगा।"

गर्व के साथ उस महिला ने अखिलेश के बारे मै बताया।रमा को उस बच्चे पर गर्व हुआ ओर अखिलेश को थोड़ा प्यार से बुलाया फिर नियति को लेकर चलदी।

सच बात है राम जिसका ध्यान रखे उसको कौन परेशान कर शके!?

और जो बच्चे पढना चाहे वोह पढ लिख आगे बढ़ ही सकते है चाहे परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों ना हो।

ओर मा का को अपने बच्चे का ख्याल रहता है चाहे खुद कितनी भी तकलीफ़ मै रहे बच्चे को अकेलe नहीं छोड़ती!

श्रम किया है वोह बच्चे देखते है और अपने माता पिता के बारे मै वोह सोचते है कि हम पढ़ लिख आगे बढ़े ताकि माता पिता को जो आज तकलीफ़ है वोह आगे चलकर न आए !


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