अब कार्तिक और मोहनी परिवार के साथ प्रसन्नतापूर्वक अपना जीवन व्यापन करने लगे। अब कार्तिक और मोहनी परिवार के साथ प्रसन्नतापूर्वक अपना जीवन व्यापन करने लगे।
आजादी को सौदेबाजी पर हावी करके वह निकल पड़ी अपनी आवारगी और यायावरी पर। आजादी को सौदेबाजी पर हावी करके वह निकल पड़ी अपनी आवारगी और यायावरी पर।
लेखक : सिर्गेइ पिरिल्यायेव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : सिर्गेइ पिरिल्यायेव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
तो मैं पापा बन रहीं हूँ तो मुझे क्या आराम करना होता है, कल तुम्हारे पापा कह रहे थे, बॉस बात बात पर ड... तो मैं पापा बन रहीं हूँ तो मुझे क्या आराम करना होता है, कल तुम्हारे पापा कह रहे ...
आशु को एक लड़के के साथ रात में बाइक पर बैठकर जाते हुए देखा तो उसकी बची-खुची उम्मीद भी जाती रही। आशु को एक लड़के के साथ रात में बाइक पर बैठकर जाते हुए देखा तो उसकी बची-खुची उम्म...
गुड़िया अपना आखिरी फ़र्ज़ निभा चुकी थी। गुड़िया अपना आखिरी फ़र्ज़ निभा चुकी थी।