नज़रें जरूर भटकती है इधर उधर, पर मानो उसके सिवा कुछ और देखना ही नहीं चाहता। नज़रें जरूर भटकती है इधर उधर, पर मानो उसके सिवा कुछ और देखना ही नहीं चाहता।
रोज गलियों में भटकती वह आवाज अब दम तोड़ चुकी है। रोज गलियों में भटकती वह आवाज अब दम तोड़ चुकी है।
"छोड़ आए हम शहर की वह तंग गलियां। "छोड़ आए हम शहर की वह तंग गलियां।
गले दिन जंगल में भी ढूंढा जाएगा यदि जंगली जानवर का ग्रास बन गया होगा तो भी अवशेष अवश्य गले दिन जंगल में भी ढूंढा जाएगा यदि जंगली जानवर का ग्रास बन गया होगा तो भी अवशेष...