अपना घर अपना मकान हर किसी के लिए एक कैद खाना बन गया है प्रकृति। अपना घर अपना मकान हर किसी के लिए एक कैद खाना बन गया है प्रकृति।
"वैक्सीन , अरे बाप रे , कैसे लगवाऊंगी , मुझें नही लगवानी। "वैक्सीन , अरे बाप रे , कैसे लगवाऊंगी , मुझें नही लगवानी।
मीरा और उसका पति धीरज वैक्सिनेशन हॉल पहुँच गये। मीरा और उसका पति धीरज वैक्सिनेशन हॉल पहुँच गये।
"नही भई , अब कोई वैक्सीन नही लगेगी , फ़ालतू में लेने के देने पड़ जायेंगे। "नही भई , अब कोई वैक्सीन नही लगेगी , फ़ालतू में लेने के देने पड़ जायेंगे।
पंक्षियों का लौटना घोंसलों में अपने - अपने जीवन राग बिखेरता है। पंक्षियों का लौटना घोंसलों में अपने - अपने जीवन राग बिखेरता है।