इस बार ये बूंदें गिरी थी एक नहीं लाखों कृषकों की आंखों से। इस बार ये बूंदें गिरी थी एक नहीं लाखों कृषकों की आंखों से।
सुना है मैंने तुम्हारे पलटते हुए पन्ने की आवाज़ों को सुना है मैंने तुम्हारे पलटते हुए पन्ने की आवाज़ों को
शराबखाना हो या तवायफ खाना, सिर्फ सबका दिल लगाते है। पर अंत में यही कहते है, अब अपने घर जाओ। बस वसुधा... शराबखाना हो या तवायफ खाना, सिर्फ सबका दिल लगाते है। पर अंत में यही कहते है, अब अ...