लेखक : अलेक्सान्द्र पूश्किन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : अलेक्सान्द्र पूश्किन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
मेरे मंत्रों का अब तो उस पर कुछ असर भी नहीं हो रहा है, मेरे मंत्रों का अब तो उस पर कुछ असर भी नहीं हो रहा है,
एक दिन अनहोनी हो गई। अचानक दिल का दौरा पड़ने से माँजी नहीं रहीं। एक दिन अनहोनी हो गई। अचानक दिल का दौरा पड़ने से माँजी नहीं रहीं।
सच ही कहा गया है, समय का पहिया गतिशील होता है सच ही कहा गया है, समय का पहिया गतिशील होता है