वह निरीह निगाहों से कभी यहाँ वहाँ देखने लगी।लेकिन वह और नीचे नीचे जाने लगी। वह निरीह निगाहों से कभी यहाँ वहाँ देखने लगी।लेकिन वह और नीचे नीचे जाने लगी।
तुम्हारे इंतजार में और आसमान नहीं ताकना है बस मिलके एक बार चाय ही तो पीना है। तुम्हारे इंतजार में और आसमान नहीं ताकना है बस मिलके एक बार चाय ही तो पीना है।