यह जादू कैसे हुआ?
यह जादू कैसे हुआ?
"मम्मी को इस कमरे में बुला लो, उन्हें यहां ही चाय पानी पिला देंगे" पिंकी ने राजेश से कहा। राजेश ने कमरे में बैठी हुई अपनी सासू मां और पिंकी की सासू मां दोनों को दूसरे कमरे में जहां मां उनका इंतजार कर रही थी,आने के लिए कह दिया। तभी पिंकी बाहर आकर राजेश पर चिल्लाती हुई बोली "बेवकूफ मैंने मेरी मम्मी यानी कि अपनी सासू मां को बुलाने को कहा था, तू भाभी की मम्मी को क्यों बुला लाया।"
"तूने ही तो कहा था मम्मी को बुला ला तो----" इससे पहले की बात कुछ आगे बढ़ती पिंकी ने भाभी को खड़े हुए देख लिया था इसलिए पिंकी मुस्कुराहट बिखेरती हुई भाभी को चाय पानी कमरे में ही देने का आदेश देते हुए खुद भी कमरे में चली गई।
आज पिंकी के छोटे भाई की सगाई की रसम थी। बस थोड़े से ही मेहमान बुलाए हुए थे। इस उपलक्ष्य में पिंकी की सासू मां और भाभी मीना की मां भी आई हुई थी। हालांकि मीना सवेरे से देवर जी की सगाई के लिए सारे इंतजाम और काम खुद ही कर रही थी, वह देख रही थी की पिंकी की सासु मां के लिए सब सामान अलग से आ रहा था उसी कमरे में जहां उसकी मम्मी जमीन पर बैठकर प्रोग्राम देख रही थी वही पिंकी की सासु जी के आते ही घर में हलचल मच गई और कुर्सी इत्यादि लाई जाने लगी। नहीं नहीं, मीना इतनी अच्छी लड़की है कि उसे इस बात से कोई जलन नहीं थी कि पिंकी की सासू मां का इतना ख्याल क्यों कर रहे हैं बल्कि उसे तो सिर्फ यह दुख था कि फंक्शन में आई हुई मेरी मम्मी को क्यों इग्नोर किया जा रहा है।
पिंकी कोई भी काम नहीं करवा रही थी और इसके लिए सासू मां का भी सीधा सा तर्क था कि "मीना घर तुम्हारा है इसलिए तुम्हें ही पता होना चाहिए घर में कौन सा सामान कहां है और किस को क्या जरूरत है?" मीना को इस बात से भी कोई एतराज नहीं था लेकिन रह रह कर उसे यह महसूस हो रहा था कि वह इस घर में नौकर के जैसे सबके लिए तो काम कर ले लेकिन क्या उसको इतना भी अधिकार नहीं है कि वह अपनी मम्मी को भी कुछ स्पेशल फील करवा सके। माना पिंकी को कोई काम करने की आदत नहीं है क्योंकि उसकी सासू मां ने घर के काम के लिए एक फुल टाइम नौकर रखा हुआ है,। वह इतना काम करती है इसके बावजूद सासू मां फोन पर उसकी मम्मी को यही कहती थी कि "हमारे कौन सा कोई बाहर खेतों का काम है सिर्फ घर का ही काम करना है, वह भी मीना से सारे दिन में निबटने में ही नहीं आता।" मीना यह सब सुनकर भी दुखी तो हो जाती थी लेकिन सिर्फ इस बात के पीछे घर तो नहीं बिगाड़ा जा सकता था ना? संस्कार के नाम पर सबसे दबने की घुट्टी जो पिला रखी थी उसे, इसलिए वह कभी कुछ कह नहीं पाई लेकिन मन तो दुखी हो ही जाता था ना।
कमरे में मीना की सासू मां और उनकी दोनों समधने बैठी हुई थी, यानि कि मीना की मम्मी और पिंकी की सासू मां। चलो इसी बहाने ही सही मेरी मम्मी को यहां आकर कुछ तो स्पेशल लगेगा, भले ही यह सब राजेश की गलती से हुआ या कि राजेश ने जानबूझकर दोनों मम्मियों को बुलाया यह तो राजेश ही जाने, मीना कुछ ऐसा ही सोच रही थी। तभी वह उन लोगों के खाने के लिए बहुत से पकोड़े गरम चाय ,गुलाब जामुन और भी बहुत सा सामान ट्रे में रखकर कमरे में ले गई। ट्रे रखने के बाद वह रसोई में वापिस जा ही रही थी कि पिंकी की सासू मां ने बोला "अरे मीना बेटा तुम भी हमारे साथ बैठकर ही चाय पी लो, जब से आई हूं देख रही हूं तुम कितना काम करती हो." उसके बाद उन्होंने मीना की मम्मी की ओर मुखातिब होकर कहा "बहन जी बहुत अच्छी शिक्षा दी है आपने अपनी बेटी को, देखो तो घर का काम कैसे संभाल रखा है, हमारी बहू रानी पिंकी तो फंक्शन पर समय से तैयार हो जाए तो ही हम तो समझे कि हम तो गंगा जी नहा लिए। देखो पिंकी यह इतना काम कर रही है तुम आज तो अपनी भाभी के साथ कुछ काम करवा लो।" अब सासू मां और पिंकी को तो काटो तो खून नहीं और उसके बाद बातें तो और भी बहुत हुई लेकिन आप विश्वास कीजिए पाठक गण उस फंक्शन के बाद मीना की सासु मां ने भी घर में कामवाली लगा ली थी और पिंकी ने भी भाभी के साथ घर में काम करवाना शुरू कर दिया था। वाह, ये जादू कैसे हुआ?
